शहीद जवानों की शहादत को कभी भुलाया नहीं जा सकता - मोहिन्दर सिंह डीएसपी पलवल
पलवल में हर वर्ष की भांति 21 अक्टूबर को पुलिस शहीदी स्मृति दिवस मनाया गया
जिला पलवल के दो वीर सपूतों ने अपनी जान न्योछावर कर पाया शहीद का दर्जा
शहीद परिवारों को किया गया सम्मानित
पलवल
पुलिस प्रवक्ता से प्राप्त जानकारी अनुसार आज 21 अक्टूबर 2024 सोमवार को पुलिस लाईन पलवल के प्रांगण में स्थित शहीद स्मारक स्थल पर पुलिस स्मृति एंव झंडा दिवस मनाया गया। जिला पुलिस अधीक्षक चंद्र मोहन के माननीय उच्च न्यायालय चंडीगढ़ में व्यस्तता के चलते मोहिन्दर सिंह डीएसपी पलवल की अध्यक्षता में शहीदी दिवस मनाया गया। इस अवसर पर देश के लिये शहीद हुये पुलिस व अर्ध सैनिक बल के जवानो को जिला पुलिस पलवल की तरफ से श्रद्वासुमन अर्पित कर उन्हे श्रद्वांजलि दी गई तथा इसके पश्चात पुलिस अधिकारियों व कर्मचारियों द्वारा एक दूसरे की शर्ट पर पुलिस ध्वज लगाकर पुलिस झंडा दिवस मनाया।
शहीद स्मृति दिवस के अवसर पर मोहिन्दर सिंह डीएसपी पलवल ने देश के लिये शहीद हुए पुलिस व अर्ध सैनिक बल के जवानों को पुष्प च्रक अर्पित कर नमन किया। उप पुलिस अधीक्षक ने कहा कि देश की रक्षा कर अपने प्राण न्यौछावर करने वाले शहीदो से प्रेरणा लेकर अपने जीवन मे प्रण करना चाहिये की हम अपने सामने आने वाली किसी भी चुनौती का दृढता से सामना करेगें चाहे हमे इसके लिये प्राणो की भी आहुति क्यों न देनी पड़े। उन्होनें बताया कि साल 1959 से चीन से सटी भारतीय सीमा की रक्षा में बलिदान देने वाले दस पुलिसकर्मियों की याद में यह खास दिन मनाना शुरु किया गया। यह भी कहा कि देश की सीमा की रक्षा में लगे सैन्य बलों के बलिदान की आपने कई कहानियां सुनी होंगी लेकिन हमारे पुलिस कर्मियों के शौर्य और बलिदान का इतिहास भी किसी से कम नहीं है। कुछ ऐसा ही साल 1959 में हुआ था जब पुलिसकर्मी पीठ दिखाने की बजाय चीनी सैनिकों की गोलियां सीने पर खाकर शहीद हुये। चीन के साथ देश की सीमा की रक्षा करते हुये जो बलिदान दिया था उसकी य़ाद में हर साल पुलिस स्मृति दिवस मनाया जाता है। ये बात 21 अक्टूबर साल 1959 की है जब 10 पुलिसकर्मियों ने अपना बलिदान दिया था तब तिब्बत के साथ भारत की 2,500 मील की सीमा की निगरानी की जिम्मेदारी भारत के पुलिसकर्मियों की थी। इस घटना से एक दिन पहले 20 अक्टूबर 1959 को तीसरी बटालियन की एक कंपनी को उत्तर पूर्वी लद्दाख में हॉट स्प्रिंग्स नाम के स्थान पर तैनात किया गय़ा था। इस कंपनी को 3 टुकड़ियों में बांटकर सीमा सुरक्षा की बागडोर दी गई थी। लाइन ऑफ कंट्रोल में जवान गश्त के लिये निकले।आगे गई दो टुकड़ी के सदस्य उस दिन दोपहर बाद तक लौट आये लेकिन तीसरी टुकड़ी के सदस्य नहीं लौटे। उसी टुकड़ी में दो पुलिस कॉस्टेबल और पोर्टर शामिल थे। अगले दिन फिर सभी जवानों को इकट्ठा किया गया औऱ गुमशुदा जवानों की तलाश के लिये एक टुकड़ी का गठन किया गया। उन्होंने बताया कि गुमशुदा हो गए पुलिसकर्मियों की तलाश में तत्कालीन डीसीआईओ करम सिंह के नेतृत्व में एक टुकड़ी 21 अक्टूबर 1959 को सीमा के लिए निकली। इस टुकड़ी में करीब 20 पुलिसकर्मी शामिल थे। करम सिंह घोड़े पर सवार पर थे जबकि बाकी पुलिसकर्मी पैदल थे। पैदल सैनिकों को तीन टुकड़ियों में बांट दिया गया था। तभी दोपहर के समय चीन के सैनिंकों ने एक पहाड़ी से गोलियां चलाना औऱ ग्रनेड फेंकना शुरु कर दिया। अपने साथियों की तलाश में निकली ये टुकड़ियां खुद की सुरक्षा का कोई उपाय नहीं करके गई थी इसलिए ज्यादातर सैनिक घायल हो गए। तब उस हमले में देश 10 वीर शहीद हो गए जबकि सात अन्य बुरी तरह घायल हो गये। यही नहीं, इन सातों घायल पुलिसकर्मियों को चीनी सैनिक बंदी बनाकर ले गये जबकि बाकी अन्य पुलिसकर्मी वहां से निकलने में कामयाब रहे। 13 नवंबर 1959 को शहीद हुये दस पुलिस कर्मियों का शव चीनी सैनिकों ने लौटा दिया। उन पुलिसकर्मियों का अंतिम संस्कार हॉट स्प्रिंग्स में पूरे पुलिस सम्मान के साथ हुआ। उन्ही शहीदों के सम्मान में हर साल 21 अक्टूबर को नेशनल पुलिस डे या पुलिस स्मृति दिवस मनाया जाता है ।
इस अवसर पर मोहिन्दर सिंह डीएसपी पलवल ने शहीदों के परिवारों को सम्मानित करते हुए उन्हें आश्वासन दिया कि पुलिस प्रशासन हर समय उनके साथ है। वहीं शहीद परिवारों ने कहा कि आज उन्हें अपने बेटों की कुर्बानी का बिल्कुल भी गम नहीं बल्कि गर्व है कि उनकी जान देश की रक्षा के काम आई।